“रक्तवीर” – समर्पण, सेवा और प्रेरणा का प्रतीक
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के नागेश यदु न केवल 110 से अधिक रक्तदान शिविरों का सफल आयोजन कर चुके हैं, बल्कि स्वयं भी 51 बार रक्तदान कर मानव सेवा का अद्वितीय उदाहरण पेश कर चुके हैं। जीवन को परोपकार और सेवा के लिए समर्पित करने वाले नागेश यदु ने जब अपने प्रथम पुत्र का नाम “रक्तवीर” रखा, तो यह केवल एक नामकरण नहीं था, बल्कि समाज को एक नई चेतना, एक नई दिशा और प्रेरणा देने वाला संकल्प था।
“रक्तवीर” – यह कोई साधारण नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा है। यह उस व्यक्ति का परिचायक है जो निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करता है, जो अपने कर्मों से दूसरों के जीवन में आशा की किरण बनता है, और जो अपने जीवन को उच्चतम मानवीय मूल्यों के साथ जीता है। रक्तवीर वह होता है जो हर परिस्थिति में अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखता है, जो न केवल जीवन देता है, बल्कि जीने की वजह भी देता है।
नागेश यदु जैसे व्यक्तित्व समाज के लिए दीपस्तंभ होते हैं – जो खुद जलकर दूसरों के जीवन को रोशन करते हैं। उनके द्वारा पुत्र को दिया गया नाम “रक्तवीर” आने वाली पीढ़ियों के लिए यह संदेश है कि *सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है और जीवन का वास्तविक अर्थ दूसरों के लिए जीने में है।
आइए, हम सब “रक्तवीर” की इस भावना को अपनाएं, और अपने जीवन को समाज के कल्याण हेतु समर्पित करें। यही सच्ची प्रेरणा है, यही सच्चा मानव धर्म।